हिमाचल में सरकार बचाने में नाकाम रहे जयराम, उत्तराखंड में धामी ने बदला था रिवाज़, पार्टी में बढ़ेगा कद

हिमाचल में सरकार बचाने में नाकाम रहे जयराम, उत्तराखंड में धामी ने बदला था रिवाज़, पार्टी में बढ़ेगा कद

देहरादून। हिमाचल विधानसभा और दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी की हार हुई है। बीजेपी की हार के बावजूद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के कद में बढ़ोतरी होना तय है।

हिमाचल हार के अब उत्तराखंड और हिमांचल का तुलनात्मक विश्लेषण होना स्वाभाविक है। उत्तराखंड में बीजेपी की प्रचंड रूप से जीती जबकि हिमाचल में बहुमत से काफी पीछे रही। जाहिर बात है कि इस तुलना में पुष्कर धामी फैक्टर भी अहम माना जायेगा। क्योंकि पुष्कर धामी के नेतृत्व में लड़े गये विधानसभा चुनाव धामी की मेहनत, बेदाग छवि और सरल स्वभाव इतिहास बनाने में सबसे अहम माना जायेगा। ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का कद पार्टी और केन्द्रीय नेतृत्व के सामने और बढ़ गया है। हिमांचल और उत्तराखंड में कहा जाता था कि यहां हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। इन राज्यों में एक बार बीजेपी तो अगली बार कांग्रेस सरकार बनाती है। पुष्कर धामी के नेतृत्व में लड़े गये चुनावी नतीजों ने उत्तराखंड का मिथक को तोड़ दिया। लेकिन हिमांचल प्रदेश में पूरी ताकत लगाने के बावजूद भी मिथक कायम रहा।

विश्लेषण होगा तो बात ये भी उठेगी कि पुष्कर धामी तो अपनी सीट से चुनाव हार गये थे। लेकिन राजनैतिक पंडित ये भी जानते हैं कि पुष्कर धामी को हराने के लिए कुछ विभिषणों ने ही फील्डिंग सजाई थी। पुष्कर को पार्टी के ही कई दिग्गजों ने मिल के साजिशन हरा तो दिया। लेकिन उनकी बेदाग छवि और नेतृत्व क्षमता देख केन्द्रीय नेतृत्व ने उनके सिर फिर से उत्तराखंड का ताज सजा दिया।

वहीं दिल्ली एमसीडी चुनाव में पुष्कर धामी का जलवा छाया रहा। यहां धामी ने 22 सीटों पर चुनाव प्रचार किया जिसमें बीजेपी ने 10 सीटों पर कब्जा किया। इससे साफ होता है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व को जनता का समर्थन मिल रहा है। जनता के अपार समर्थन और केन्द्रीय नेतृत्व का भरोसा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का कद जरूर बड़ा होगा।

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