देवभूमि के दुर्गम इलाकों में रहने वाले रोगिपो को मिलेगा इसका लाभ ।
रिपोर्ट – बलवन्त सिंह रावत
रानीखेत – जहां पहाड़ो मे आजकल मधुमेह और हृदय रोग के मरीजो की संख्या बहुत अधिक बढ़ रही है, और समय पर इलाज नही मिलने के कारण उनकी मौते हो रही है। इसी को ध्यान मे रखते हुए पहली बार अपोलो हॉस्पिटल्स दिल्ली ने कुमाऊं क्षेत्र में एस.एन. हॉस्पिटल एण्ड हार्ट सेंटर रानीखेत के सहयोग से लोगों को अपनी नैदानिक विशेषज्ञता और सहायता प्रदान करने का फैसला लिया है। जहां पहाड़ो मे आजकल मधुमेह और हृदय रोग के मरीजो की संख्या बहुत अधिक बढ़ रही है, और समय पर इलाज नही मिलने के कारण उनकी मौते हो रही है। इसी को ध्यान मे रखते हुए पहली बार अपोलो हॉस्पिटल्स दिल्ली ने कुमाऊं क्षेत्र में एस.एन. हॉस्पिटल एण्ड हार्ट सेंटर रानीखेत के सहयोग से लोगों को अपनी नैदानिक विशेषज्ञता और सहायता प्रदान करने का फैसला लिया है। इसी क्रम मे आज एस.एन. हॉस्पिटल एण्ड हार्ट सेंटर रानीखेत में एक जागरूकता शिविर आयोजन किया जाएगा। जिसका उद्धाटन सयुंक्त मजिस्ट्रेट जय किशन, छावनी परिषद अधिशासी अधिकारी नागेश कुमार पांडेय एवं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर राजीव राजपूत ने दीप प्रज्वलित कर किया। ताकि यहां के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले रोगियों को भी अत्याधुनिक चिकित्सा का लाभ मिल सके। यह पहल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इस पहल से अब कुमाऊं क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ समय पर चिकित्सा सलाह मिलेगी बल्कि तय समय पर जांच कराने से उन्हें बीमारियों पर जीत भी हासिल होगी। देवभूमि के दुर्गम इलाकों में रहने वाले रोगी भी इसका लाभ उठा सकते।
जागरूकता शिविर मे जानकारी नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के विशेषज्ञों ने दी। एस.एन. हॉस्पिटल एंड हार्ट सेंटर के साथ मिलकर विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम में एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के बढ़ते मामलों और मौजूदा इलाज के बारे में चर्चा की। दरअसल, देश के अलग अलग हिस्सों में जाकर अत्याधुनिक चिकित्सा के बारे में लोगों को जानकारी देने को लेकर अपोलो की पहल जारी है। अलग अलग राज्यों के साथ साथ अब देवभूमि वासियों को भी बेहतर चिकित्सा के अवसर प्रदान करने के लिए अपोलो हॉस्पिटल्स ने अपनी परिवर्तनकारी पहल अपोलो कनेक्ट के जरिए ग्रामीण, दुर्गम क्षेत्र और शहरों में रहने वाले रोगियों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। ताकि बेहतर स्वास्थ्य सेवा के जरिए इन लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सके।
सत्र में विशेषज्ञों ने बताया कि ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श, नर्सिंग देखभाल और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सहायता सहित विभिन्न सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स यह सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे का सहयोग व समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है कि गुणवत्ता देखभाल तक सीमित पहुंच के कारण कोई भी व्यक्ति बिना इलाज न रह जाए।
इस चिकित्सा शिविर का नेतृत्व इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर राजीव राजपूत ने किया। शिविर में कोरोनरी सिंड्रोम यानी हृदय की धमनियों में थक्का बनने के उपचार को बढ़ावा देने के लिए संकेत व इसके लक्षण, उपचार के तौर-तरीके और नैदानिक परीक्षणों पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर राजीव राजपूत ने बताया कि पिछले एक साल में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कोरोनरी सिंड्रोम के कुछ चुनौतीपूर्ण मामलों को देखा है। हालांकि अस्पताल में मौजूद उन्नत चिकित्सा सुविधाओं के जरिए इन मरीजों को संजीवनी देने में हमे कामयाबी मिली है।
डॉक्टर राजीव राजपूत ने कहा कि जब हम कोरोनरी सिंड्रोम के बारे में बात करते हैं, तो हम जानते हैं कि इलाज को लेकर लोग न केवल बहुत भयभीत होते हैं, बल्कि कई गलत धारणाओं पर भरोसा भी कर लेते हैं। यह स्थिति तब है जब हमारे यहां ऐसे मरीजों के प्रबंधन में प्रमुख प्रगति देखने को मिल रही है। अगर लोग उपचार के बारे में मिथक और गलत धारणाओं पर भरोसा करेंगे तो इसका सीधा नुकसान उनके जीवन पर पड़ सकता है। लोगों को इनसे बचाने के लिए ही हृदय संबंधी देखभाल और उपचार में नवीनतम विकास को लेकर इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम होना बहुत जरूरी है। साथ ही साथ इस बीमारी के लिए अभी जो विकल्प मौजूद हैं उनके बारे में लोगों को बताना बहुत जरूरी है।
रानीखेत स्थित एस.एन. हॉस्पिटल एंड हार्ट सेंटर के अध्यक्ष डॉक्टर एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि कुमाऊं क्षेत्र के लोगों के लिए यह अपनी तरह की पहली ऐसी पहल है जो भविष्य में क्षेत्रवासियों के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध कराएगी। साथ ही चिकित्सा देखभाल का बेजोड़ मानक प्रदान करने की हमारी अटूट प्रतिबद्धता काे लेकर यह स्थायी वसीयतनामा के रूप में खड़ी होगी। इसका उद्देश्य जरूरतमंद रोगियों तक अपनी पहुंच बढ़ाना है। साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे सर्वोत्तम संभव उपचार प्राप्त करें।
डॉक्टर एस. एन. श्रीवास्तव ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स इस पहल का नेतृत्व कर रहा है। जिसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम मरीजों को समय पर अत्याधुनिक इलाज मिल सकेगा। इस तरह की पहल ज्ञान के प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करती है। साथ ही लोगों को अटूट दृढ़ संकल्प के साथ सशक्त बनाती है और उन्हें बीमारी से लड़ने के लिए सटीक ज्ञान के शस्त्रागार के साथ सशक्त भी बनाती है।
बता दे कि इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स भारत का पहला ऐसा जेसीआई मान्यता प्राप्त अस्पताल है, जो दिल्ली सरकार और अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम है। जुलाई 1996 में कमीशन यह अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप द्वारा स्थापित तीसरा सुपर-स्पेशियलिटी तृतीयक देखभाल अस्पताल है, जो करीब 15 एकड़ में फैला है। इसमें 300 से अधिक विशेषज्ञ और 700 से अधिक ऑपरेशनल बेड के अलावा 19 ऑपरेशन थिएटर, 138 आईसीयू बेड, 24 घंटे फार्मेसी, एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं, 24 घंटे की आपातकालीन सेवाओं और एक सक्रिय एयर एम्बुलेंस के साथ 57 विशेषताएं सेवा दे रहे हैं। अपोलो हॉस्पिटल्स दिल्ली का देश में किडनी और लिवर प्रत्यारोपण में अग्रणी कार्यक्रम है। भारत में पहला सफल बाल चिकित्सा और वयस्क यकृत प्रत्यारोपण इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में किया गया था। अस्पताल चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के मामले में सबसे आगे है। यह अपने रोगियों की देखभाल के लिए नवीनतम नैदानिक, चिकित्सा और शल्य चिकित्सा सुविधाओं की एक पूरी श्रृंखला प्रदान करता है। अस्पताल ने 64 स्लाइस सीटी और 3 टेस्ला एमआरआई, नोवेलिस टीएक्स और एकीकृत पीईटी सूट की शुरुआत के साथ भारत में सबसे परिष्कृत इमेजिंग तकनीक पेश की है। इंद्रप्रस्थ अपोलो ने निवारक स्वास्थ्य जांच कार्यक्रमों की अवधारणा को भी आगे बढ़ाया है और दशकों से एक संतुष्ट ग्राहक आधार बनाया है। पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ 10 अस्पतालों में स्थान दिया गया ।
इस अवसर घर सयुंक्त मजिस्ट्रेट जय किशन, अधिशासी अधिकारी नागेश कुमार पांडेय, राजीव सहित अस्पताल के कर्मचारी उपस्थित रहे।