द्वाराहाट में प्रसिद्ध स्याल्दे बिखोती मेला की धूम

द्वाराहाट में प्रसिद्ध स्याल्दे बिखोती मेला की धूम

बलवन्त सिंह रावत

रानीखेत: अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट विकासखण्ड में होने ‌वाला ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेले का आयोजन शुरू हो रहा है। उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति की धरोहर द्वाराहाट का ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती का मेला पाली पछाऊँ में आयोजित होता है। बता दें कि विभांडेश्वर द्वाराहाट से लगभग 8 किमी की दूरी पर सुरभि, नंदिनी और गुप्त सरस्वती के संगम पर स्थित है। चैत्र मास की अन्तिम रात्रि ‘विषुवत्’ संक्रान्ति की रात्रि व वैशाख मास के प्रथम दिन मेष संक्रांति को द्वाराहाट के विभांडेश्वर महादेव मंदिर में यह मेला लगता है। इस मेले का शुक्रवार को विधिवत शुभारंभ क्षेत्रीय विधायक मदन सिंह बिष्ट ने किया।

बता दें कि दो दिनों तक चलने वाले इस मेले में पहला दिन बट पूजा में नौज्युला दल के लोगों द्वारा करीब सायं पांच बजे ओढ़ा भेंटने की रश्म अदायगी की गई। दल में 9 जोड़ों नगाड़ों ने प्रतिभाग किया। जिसमे हाट,बमनपुरी, कौला, ध्याड़ी, सलालखोला, छतीना, इड़ा और तल्ली बिठोली के नगाड़े पहुंचे। यहां पर सबसे बड़ी बात थी कि तल्ली बिठोली का नगाड़ा करीब 85 सालों बाद आज पुनः इस मेले में प्रतिभाग करने पहुंचा था। जिसका मेला कमेटी और सभी ग्रामीणों ने भव्य स्वागत किया।

आपको यह भी बताते चलें कि यह स्याल्दे बिखौती मेला मुख्य रूप से नहान और किसानों का पर्व है। बैसाखी में लगने वाला यह मेला एक पेट बैसाख को द्वाराहाट का पवित्र धाम जिसे उत्तर की काशी भी कहा जाता है, बिमांडेस्वर धाम से शिव को जलाभिषेक कर द्वाराहाट की शीतला देवी की पूजा के साथ शुरू होता है। कुमाऊं का सबसे पुराना और प्रसिद्ध मेला होने के कारण इसकी प्रसिद्धी दूर दूर तक विभिन्न देशों तक है।

इस मेले में कुमाऊं के सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी के द्वारा गाए गए गीतों, ओ भिना कसीके जानू द्वाराहाट, हिट साली कौतिक जानू द्वाराहाट। अलबेरक बिखौती मेरी दुर्गा हरे गै। चाने चाने मेरी कमरा पटे गै। जैसे गीतों के माध्यम से इस मेले को चार चांद लगा देते हैं। जिसकी धूम देश विदेश तक फैली हुई है।

इस मेले में देर रात को स्कूली बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, साथ ही विहान लोक कला केंद्र द्वारा कार्यक्रम दिखाए गए। कुमाऊनी सुपर स्टार माया उपाध्याय की स्टार नाईट से कार्यक्रमों में चार चांद लग गए।आज मुख्य मेले में गरख दल की बारी पहले ओढ़ा भेंटने की है। जिसका समय 3.30 है, पर ओढ़े तक पहुंचते पहुंचते समय करीब पांच बजे सायं तक हो जाता है। इसके बाद आल दल के लोगों द्वारा ओडा भेंटा जायेगा। वहीं झूलों चरखों से मेले की रौनक देखते ही बनती है।

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